Tag: kevra yadu meera ki kavita

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०केवरा यदु मीरा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • मुरली पर कविता

    मुरली पर कविता

    मुरली रे मुरली तूने ऐसा कौन सा काम किया है ।
    खुस होकर कान्हा ने तुझे अधरों पे थाम लिया  है।
    मुरली  बोलो न  मुरली बोलो न
    तेरी  किस्मत सबसे निराली कान्हा ने अपनाया ।
    कान्हा के अधरों पे सजी है कोई  समझ न पाया ।
    कान्हा की प्यारी हो——-कान्हा की प्यारी बन कर तूने जग में  नाम लिया है ।
    खुस होकर कान्हा ने तुझे अधरों पे थाम लिया है ।
    मुरली  बोलो न मुरली बोलो न ।
    राधा रूक्मनी तुझसे कान्हा के संग रहती ।
    कान्हा जो भी कहना  चाहे अपने मुख तू कहती ।
    तेरे बिन है श्याम अधूरा  हो——तेरे बिन है श्याम अधूरा सबने मान लिया है।
    खुस होकर कान्हा ने तुझे अधरों पे थाम लिया है ।
    मुरली बोलो न मुरली बोलो न ।
    सबको है अपनाया  कान्हा मुझको भी अपनाले ।
    चरणों  की प्रभू दास बना कर शरण में अपनी लगाले ।
    तेरी भक्ति हो——-तेरी  भक्ति  को मैने  जीवन धन मान लिया है।
    खुस होकर कान्हा ने तुझे अधरों पे थाम लिया है ।
    मुरली बोलो न मुरली बोलो न मुरली बोलो न मुरली बोलो न
    मुरली रे मुरली तूने ऐसा कौन सा काम किया है ।
    खुस होकर कान्हा ने तुझे अधरों पे थाम लिया है ।
    केवरा यदु “मीरा “
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  • सिंगार भजन /केवरा यदु “मीरा “

    सिंगार भजन /केवरा यदु “मीरा “

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं।शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है।

    सिंगार भजन /केवरा यदु “मीरा “

    Maa Durga photo
    Maa Durga photo

    सिंगार भजन

    सिंगार माता दुर्गा करन लागे हो ।
    सिंगार माता दुर्गा करन लागे हो ।
    मोहिनी मुरतिया लाल चुनरिया होऽऽऽ
    मोहिनी मुरतिया लाल चुनरिया नैनन भावे हो ।
    सिंगार माता दुर्गा करन लागे हो ।


    सिर सोने के क्षत्र बिराजे माथे सोहे बिंदिया ।
    माथे सोहे बिंदिया  भवानी माथे सोहे बिंदिया ।
    लाल कमल दल होठ भवानी हो  —-
    लाल कमल दल होठ भवानी नैनन भावे हो ।
    सिंगार माता दुर्गा करन लागे हो ।


    कानों में कुन्डलिया सोहे नाक में सोहे नथनिया ।
    नाक में सोहे नथनिया भवानी नाक में सोहे नथनिया ।
    नव लखा हार गले में दमके हो–
    नव लखा हार गले में दमके हो नैनन भावे हो ।
    सिंगार माता दुर्गा करन लागे हो ।


    बाँहों में बाजूबँद दमके खन खन खनके कँगना ।
    खन खन खनके कँगना भवानी खन खन खनके कँगना ।
    हरि हरि चूड़ियाँ हाथ में खनके हो—-
    हरि हरि चूड़ियाँ हाथ में खनके नैनन भावे हो ।
    सिंगार माता दुर्गा करन लागे हो ।


    लाली लाली लुगरा पहिरे ओढ़े लाल चुनरिया ।
    ओढ़े लाल चुनरिया भवानी ओढ़े लाल चुनरिया ।
    कमर में करधनिया सोहे हो—
    कमर में करधनिया सोहे नैनन भावे हो ।


    सिंगार माता दुर्गा करन लागे हो ।
    पाँव में माँ के पायल छनके सोहे लाल माहुरिया ।
    सोहे लाल माहुरिया भवानी सोहे लाल माहुरिया ।
    चुटुक चुटुक माँ के बिछिया बाजे हो—
    चुटुक चुटुक माँ के बिछिया बाजे नैनन भावे हो ।
    सिंगार माता दुर्गा करन लागे हो ।


    सिंगार माता दुर्गा करन लागे हो ।
    मोहिनी मुरतिया लाल चुनरिया होऽऽऽ
    मोहिनी मुरतिया लाल चुनरिया नैनन भावे हो ।
    सिंगार माता-


    केवरा यदु “मीरा “
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  • हर पल उत्सव सा मनालें

    हर पल उत्सव सा मनालें – केवरा यदु “मीरा “

    holi
    holi

    जिंदगी चार दिन की  चलो गीत गालें ।
    हँस लें हम खुद औरों  को भी हँसालें ।
    चाहें तो जिन्दगी को हम इस तरह सजालें ।
    हर दिन दिवाली होली उत्सव मनालें ।


    न बेरंग जीवन  हो संग मिलकर संवारें ।
    रहें हरपल मगन छूटे हँसी के फव्वारें।
    न हो भूखा पड़ोसी चलो मिल बाँट खालें।
    जिंदगी का हर पल उत्सव सा मनालें ।


    बेंटियों को रावण से  चल कर बचालें ।
    सिसकती हुई बेटियों को हम हँसालें ।
    रंगों की होली  से तन मन  रँगालें ।
    दुश्मन रहे न कोई  मीत सबको बनालें ।


    जिंदगी है उत्सव  नहीं उदासी हम पालें
    चलो आज  सबको गले से लगालें।


    केवरा यदु “मीरा “
    राजि

  • लाल तुम कहाँ गये

    लाल तुम कहाँ गये


    * मेरे आँगन  का उजियारा था
    माँ बाप के आँख का तारा था
    सीमा पर तुझको भेजा था
    पत्थर  का बना  कलेजा था
    पर मैने यह नहीं   सोचा  था।
    तू मुझे छोड़  कर जायेगा 
    माँ बाप को  रुलवायेगा ।
    क्यों पुलवामा  में सो गये ।
    लाल तुम कहाँ गये ।

    कहता था ब्याह रचाऊँगा
    प्यारी सी बहू   मैं  लाऊँगा
    फिर झूले में  तुझे झुलाऊँगा
    खाना माँ तुम्हे खिलाऊँगा
    कैसे  सपने दिखा  चले गये
    लाल तुम कहाँ गये ।
    बूढ़ी आँखे  अब  रोती   है
    हरपल आँचल  को भिगोती है
    खो गई आँख की  ज्योति   है
    बेटा  तू   हीरा   मोती है ।
    बिन कहे कुछ क्यों  चले गये ।
    लाल तुम कहाँ गये ।
    पापा का तू ही  सहारा था
    तू  मेरा  राज  दुलारा    था
    बहनों का भाई  प्यारा था
    बस्ती वालों का  रखवारा  था ।
    क्यों मुझे तड़पते छोड गये
    लाल तुम कहाँ गये ।
    लाल तुम कहाँ गये ।
    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम
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  • मैया की लाली है सिंगार/केवरा यदु “मीरा

    मैया की लाली है सिंगार/केवरा यदु “मीरा

    “मीरा की कविता ‘मैया की लाली है सिंगार’ में माता के प्रति भक्ति और प्रेम का गहरा भाव है। इस रचना में मीरा अपनी माँ की सुन्दरता और भक्ति को बयां करती हैं, जो भावनाओं और आस्था से भरपूर है। यह कविता मातृ प्रेम और भारतीय संस्कृति की अद्भुत परंपरा को दर्शाती है।”

    मैया की लाली है सिंगार/केवरा यदु “मीरा

    Maa Durga photo
    Maa Durga photo

    मेरी  लाली लाली  मैंया की लाली  है सिंगार ।
    लाली बिंदिया  लाली सिंदूर    होंठ कमल दल  लाल।।

    मेरी  लाली लाली –
    मेरी लाली  लाली  मैंया की–
    लाल  साड़ी  लहरे माँ  के  पवन झकोरा आये।
    लाली चोली चम चम चमके  लाली मोती  जड़ाये।
    सिर पर  माँ  की लाल  चुनरिया  हो——
    सिर पर  माँ की लाल  चुनरिया शोभा  कहि नहि जाय ।।
    मेरी  लाली  लाली —
    मेरी  लाली  लाली  मैं या की लाली  है सिंगार ।।



    लाली  चूड़ी  लाली कंगना  लाली लाल मुंदरिया।
    लाल  रतन बाजूबंद सोहे  मोतियन से करधनिया ।
    कान में  बाली  लाली लाली  हो—–
    कान में  बाली लाली लाली  शोभा  कहि नहि जाय।।
    मोर  लाली  लाली –
    मोर  लाली  लाली मैंया की  लाली है सिंगार ।।



    मोतियन  लाल  लगे बिछुवा  मे पाँव  चलत झन्नाय ।
    लाल  रतन के पाँव  में  पायल  छम  छम  बाजत जाय।
    मोती  लाल नाक के नथनी  हो—
    मोती  लाल  नाक के  नथनी  चंदा  सुरज लजाय।।
    मेरी  लाली  लाली-
    मेरी  लाली लाली मैंया  की   लाली है सिंगार ।।



    लाल  सुपारी  लाल  नारियल  ध्वजा  लाल  लहराय।
    लाल  है चंदन  लाल है रोली  लाल  गुलाल  उड़ाय ।
    माँ  के भक्तन द्वारे  आके हो—
    माँ  भक्तन द्वारे  आके  आके  लाल फूल  बरसाय।
    मेरी  लाली लाली –
    मेरी लाली लाली मैंया  की लाली है सिंगार ।।



    लाल  ढोलक लाल  है मांदर  ड़फली  भी है लाल ।
    सिर  पर माँ  की लाल  चुनरिया  लहर  लहर  लहराय।
    लाली  लाली  माँ  को देख के हो–
    लाली   लाली  माँ को देख  के  ” मीरा ” हो गई लाल ।।


    लाली  बिंदिया  लाली सिंदूर होंठ  कमल दल  लाल ।
    मेरी  लाली लाली –
    मेरी  लाली लाली मैंया  की लाली है सिंगार ।
    मेरी  लाली लाली मैंया की लाली है सिंगार ।


    केवरा यदु “मीरा