पर्यावरण दिवस पर कविता

पर्यावरण दिवस पर कविता /मंजूषा दुग्गल

पर्यावरण दिवस पर कविता/मंजूषा दुग्गल जलाकर पेड़-पौधे वीरान धरती को बना रहे हैं  इतनी सुंदर सृष्टि का भयावह मंजर बना रहे हैं  काटकर जंगल पशु-पक्षियों को बेघर बना रहे हैं …
पर्यावरण की रक्षा

पर्यावरण की रक्षा/कामरान

पर्यावरण की रक्षा/कामरान दूषित है पूरा संसारआया मन में है विचारप्लास्टिक का करें बहिष्कारदेखेगा अब पूरा संसारपेट्रोलियम का करे कम उपयोगबंद करें सारे उद्योगअपने नाम से एक पेड़ लगाओजीवन में…
दौलत पर कविता

दौलत पर कविता /डॉ0 रामबली मिश्र

दौलत पर कविता /रामबली मिश्र दौलत जिसके पास है, उसे चाहिए और।और और की चाह में,कभी न पाता ठौर ।। दौलत ऐसी भूख है,भरे न जिससे पेट।दौलत करे मनुष्य का,रातोदिन…
नन्हा मुन्ना राही हूँ देश का सिपाही हूँ बाल गीत

नन्हा मुन्ना राही हूँ देश का सिपाही हूँ बाल गीत

"नन्हा मुन्ना राही हूँ, देश का सिपाही हूँ" यह एक प्रसिद्ध हिंदी बाल गीत है जो बच्चों के बीच प्रसिद्ध है। यह गीत देशभक्ति की भावना को उत्तेजित करता है…
tree

वृक्ष लगाएं धरती बचाएं/ नीलम त्यागी ‘नील’

"वृक्ष लगाएं, धरती बचाएं" एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि हमें पर्यावरण की संरक्षण के लिए वृक्षारोपण का समर्थन करना चाहिए। वृक्ष लगाना हमारे पर्यावरण के सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका…
struggle

प्रेरक कविता/ डॉ0 रामबली मिश्र

"बिना संघर्ष कुछ नहीं मिलता" हमें बताती है कि हमें अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रयास करना और संघर्ष करना होता है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के…
पर्यावरण को नुकसान पर कविता

पर्यावरण को नुकसान पर कविता /एस के कपूर श्री हंस

पर्यावरण को नुकसान पर कविता /एस के कपूर श्री हंस 1 नदी ताल में कम हो  रहा जल  हम पानी यूँ ही बहा रहे हैं। ग्लेशियर पिघल रहेऔर समुन्द्र तल…
सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना/डॉ0 रामबली मिश्र

सरस्वती वंदना/डॉ0 रामबली मिश्र दिव्य मधुर रस देनेवाली।कष्ट क्लेश को हरनेवाली।।चेतन सत्ता ज्ञानामृत हो।बनी लेखिका सत शुभ कृत हो।। अंतर्दृष्टि सहज देती हो।मिथ्या भ्रम को हर लेती हो।।सत्कर्मों की शिक्षा…
पर्यावरण को नुकसान पर कविता

ईश्वर की दी धरोहर हम जला रहे हैं/मनोज कुमार

ईश्वर की दी धरोहर हम जला रहे हैं/मनोज कुमार ईश्वर की दी हुई धरोहर हम जला रहे हैंलगा के आग पर्यावरण दूषित कर रहे हैंकाटे जा रहे हैं पेड़ जंगलों…
JALATI DHARATI

विश्व प्रदूषित हो रहा /प्रेमचन्द साव “प्रेम”,बसना

विश्व प्रदूषित हो रहा / प्रेमचन्द साव "प्रेम",बसना विश्व प्रदूषित हो रहा,फैल रहा है रोग।मानव सारे व्यस्त है,करने निज सुख भोग।। प्राणवायु दूषित हुआ,दूषित हर जल बूँद।मानव को चिंता कहाँ…