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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ०भुवन बिष्ट के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • नव दीप जले हर मन में/ भुवन बिष्ट

    नव दीप जले हर मन में/ भुवन बिष्ट

    इस कविता में भुवन बिष्ट ने आशा, प्रेम, और भाईचारे का संदेश दिया है। हर व्यक्ति के मन में नई उम्मीदों और सकारात्मकता के दीप जलाने का आह्वान किया है, जिससे समाज में शांति, प्रेम, और सद्भावना का वातावरण बने।

    नव दीप जले हर मन में/ भुवन बिष्ट

    नव दीप जले हर मन में/ भुवन बिष्ट

    नव दीप जले हर मन में,
              अब तो भोर हुई हुआ उजियारा।
    लगे विहग धरा में चहकने,
              रवि किरणों से जग सजे सारा।।
    बहे पावन सरिता का जल,
              हिमशिखरों पर लालिमा छायी।
    बनकर ओस की बूँदें छोटी, 
               जल मोती यह मन को भायी ।।
    कुमुदनियाँ अब खिलने लगी,
                 धरा में महक रहे पुष्प सारे।
    भानू की अब चमक देखकर,
                 छिप गये आसमां में अब तारे।।
    सजाया जग निर्माता ने,
                 नभ जल थल सुंदर प्यारा ।
    नव दीप जले हर मन में,
              अब तो भोर हुई हुआ उजियारा।
                           ……भुवन बिष्ट
                      रानीखेत(उत्तराखंड)

  • मानवता के दीप /भुवन बिष्ट

    मानवता के दीप /भुवन बिष्ट

    मानवता के दीप/ भुवन बिष्ट

    मानवता के दीप /भुवन बिष्ट

    मानवता के दीप/ भुवन बिष्ट

    हम तो सदा ही मानवता के दीप जलाते हैं,
    उदास चेहरों पर सदा मुस्कराहट लाते हैं।

    हार मानकर  बैठते जो कठिन राहों को देख,
    हौंसला बढ़ाकर उनको भी चलना सिखाते हैं।

    कर देते पग डगमग कभी उलझनें देखकर,
    मन में साहस लेकर हम फिर भी मुस्कराते हैं।

    मिल जाये साथ सभी का बन जायेगा कारंवा,
    मिलकर आओ अब एकता की माला बनाते हैं।

    लक्ष्य को पाने में सदा आती हैं कठिनाईयां,
    साहस से जो डटे रहते सदा मंजिल वही पाते हैं।

    राह रोकने को आती दिवारें सदा बड़ी-बड़ी,
    सच्चाई पाने को अब हम दिवारों से टकराते हैं।

    फैलायें आओ मानवता को मिलकर चारों ओर,
    दुनियां को अपनी एकता आओ हम दिखाते हैं।
     भुवन बिष्ट
     रानीखेत (उत्तराखण्ड)

  • भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं

    भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं

    भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं

    mera bharat mahan

    मिलकर आओ जग में हम सब,
                        भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।….
    माँ भारती के सब भारतवासी ,
                         सदा सदा गुण गाते हैं।।
    जब आजादी की अलख जगी,
                       वीरों ने प्राण गवाये थे।
    यह मातृभूमि की रक्षा को,
                      वे बलिदानी कहलाये थे।।
    पावन गणतंत्र यह अपना,
                     कर्तव्यों को भी निभाते हैं।…….
    भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं…भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं ….


    मिलकर आओ जग में हम सब,
                        भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।…
    शीश हिमालय मुकुट बना,
                    सागर भी पाँव पखारे हैं।
    कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
                   सुशोभित प्रांत ये प्यारे हैं।।
    यह सर्व धर्म का राष्ट्र सदा,
                   हम पुष्प सभी एक उपवन में।
    यहाँ एकता का दीप जले,
                  सदा हम सब के ही तन मन में।।
    हम अपने राष्ट्र की रक्षा को,
                 अब एकता जग को दिखाते हैं।…
    भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं…भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं ….


    मिलकर आओ जग में हम सब,
                        भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।
    सजी सुंदर धरा खलिहानों से,
                   पावन सरिता की धारा है।
    परंपराओं का नित नित संगम,
                   सभ्यता को भी सवाँरा है।।
    मातृभूमि की सेवा हम करते,
                   सदा तिरंगे का मान बढ़े।
    रक्षा भारत भूमि की होवे तब,
                 जन जन का सम्मान बढ़े।।
    मातृभूमि की चरण धूलि हम,
                सदा ही शीश लगाते हैं।
    भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं…भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं ….


    मिलकर आओ जग में हम सब,
                        भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।…

    भुवन बिष्ट
    रानीखेत जिला -अल्मोड़ा, (उत्तराखंड)
    मो=08650732824

  • जय जय वरदानी

    जय जय वरदानी

    जयति मातु जय जय वरदानी।
    सब जग पूजे मुनि जन ज्ञानी।।
    नित नित ध्यान करूँ मैं माता।
    तुम सब जन की भाग्य विधाता।।

    मातु ज्ञान की तुम हो सागर।
    जगत ज्ञान से करो उजागर।।
    सदा मातु बसना तुम वाणी।
    जय जय वंदन वीणापाणी।।


              …..भुवन बिष्ट

  • जय जय वीणाधारी

    जय जय वीणाधारी

    जय जय वंदन वीणाधारी।
    सुन लो माता विनय हमारी ।।
              सच राह सदा साहस पाऊँ।
               नित नित माता के गुण गाऊँ।।
    मातु ज्ञान की तुम हो सागर।
    ज्ञान जगत में करो उजागर।।
                सदा विराजे माता वाणी।
                सब जन पूजे वीणापाणी।।
    मातु  शारदे  तुम  वरदानी।
    सब जग पूजे मुनि जन ज्ञानी।।

               …….भुवन बिष्ट

    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद