रोटी / विनोद सिल्ला

रोटी / विनोद सिल्ला

रोटी सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ परनहीं खाई…
दिल एक मंदिर / पद्म मुख पंडा

दिल एक मंदिर / पद्म मुख पंडा

दिल एक मंदिर मंदिरों में, अगर, भगवान रहा होताहर कोई भक्त, बहुत धनवान, रहा होता! गरीबी में, जिंदगी, यूँ नहीं गुजरती,मजे में, हर कोई इन्सान ,रहा होता! सच्चाई की, न…
छत्तीसगढ़ कविता

छेरछेरा / राजकुमार ‘मसखरे’

छेरछेरा / राजकुमार 'मसखरे' छत्तीसगढ़ कविता छेरिक छेरा छेर मरकनिन छेरछेरामाई कोठी के धान ल हेर हेरा. आगे पुस पुन्नी जेखर रिहिस हे बड़ अगोराअन्नदान के हवै तिहार,करे हन संगी…
Happy Republic day

गणतंत्र दिवस अमर रहे / डॉ मनोरमा चंद्रा ‘ रमा ‘

गणतंत्र दिवस अमर रहे,सब के मुख में नारा है।मातृभूमि पर शीश नवा लें,हिंदुस्तान हमारा है।। धरती से अंबर है पुलकित, वीरों के योगदान से। कदम-कदम पर हुए न्यौछावर, अपने शौर्य…
छत्तीसगढ़ कविता

नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे

नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे छत्तीसगढ़ कविता नोहर होगे बटकी मा बासीबारा में राहय नुन।तिवरा के बटकर, बेलि नारके राहय सुघ्घर मुंग।। तिवरा नि बाचिस संगीगरवा के चरई मा।नेवता…
तितली पर बाल कविता / पद्म मुख पंडा

तितली पर बाल कविता / पद्म मुख पंडा

तितली पर बाल कविता / पद्म मुख पंडा रंग बिरंगी तितली रानीआई हमरे द्वार मधुलिका ने उसको देखा,उमड़ पड़ा था प्यार!गोंदा के कुछ फूल बिछाकर,स्वागत किया सुहाना,तितली रानी, तितली रानी!…
पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे

पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे

पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे बुलाते हैं शिक्षक पालक कोपर आते नहीं है लोग।पालक बालक जागरूक होशिक्षक को लगाते दोष।‌अनुशासन की पाठ कहें तोकुछ शिक्षक नही निर्दोष।गेहूं…
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चमकते सितारे/ आशीष कुमार

चमकते सितारे नन्हे नन्हे और प्यारे प्यारेआसमान में चमकते सितारेदेखा दूर धरती की गोद सेलगता पलक झपकाते सारे ऊपर कहीं कोई बस्ती तो नहींजहाँ के चिराग दिखाएँ नजारेउड़ा ले गया…
काम पर कविता/ सुकमोती चौहान

काम पर कविता/ सुकमोती चौहान

काम पर कविता लाख निकाले दोष, काम होगा यह उनका।उन पर कर न विचार, पाल मत खटका मन का।करना है जो काम, बेझिझक करते चलना।टाँग खींचते लोग, किन्तु राही मत…
बसंत ऋतु

बसंत ऋतु / राजकुमार मसखरे

राजा बसंत / राजकुमार मसखरे बसंत ऋतु आ...जा आ...जाओ,हे ! ऋतुराज बसन्त,अभिनंदन करते हैं तेरा, अनन्त अनन्त !मचलते,इतराते,बड़ी खूबसूरत हो आगाज़,आओ जलवा बिखेरो,मेरे मितवा,हमराज़ !देखो अब ये सर्दियाँ, ठिठुरन तो…