शुभ्र शरद पूर्णिमा – बाबूलाल शर्मा

doha sangrah

शुभ्र शरद पूर्णिमा – बाबूलाल शर्मा शुभ्र शरद शुभ पूर्णिमा, लिए शीत संकेत।कर सोलह शृंगार दे, चंद्र प्रभा घर खेत।। दक्षिण पथ रवि रथ चले, शरद पूर्णिमा देख।कृषक फसल के बीज ले, हल से लिखे सुलेख। श्वाँस कास उपचार हित, खीर चाँदनी युक्त।उत्तम औषधि वैद्य दे, करे रोग से मुक्त।। सुधा बरसता चन्द्र से, कहते … Read more

दोहा मुक्तक-बापू पर कविता

mahatma gandhi

दोहा मुक्तक-बापू पर कविता सदी वही उन्नीसवीं, उनहत्तर वीं साल।जन्मे मोहन दास जी, कर्म चंद के लाल।बढ़े पले गुजरात में, पढ़ लिख हुए जवान।अरु पत्नी कस्तूरबा, जीवन संगी ढाल। भारत ने जब ली पहन, गुलामियत जंजीर।थी अंग्रेज़ी क्रूरता, मरे वतन के वीर।हाल हुए बेहाल जब, कुचले जन आक्रोश।देख दशा व्याकुल हुए, गाँधी जी मति धीर। … Read more

अब तो मन का रावण मारें

किसी भी राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए विद्या और शक्ति दोनों देवियों की आराधना और उपासना आवश्यक है। जिस प्रकार विद्या की देवी सरस्वती है, उसी प्रकार शक्ति की देवी दुर्गा है। विजया दशमी दुर्गा देवी की आराधना का पर्व है, जो शक्ति और साहस प्रदान करती है। यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल … Read more

विजय पर्व दशहरा

doha sangrah

विजय पर्व दशहरा : किसी भी राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए विद्या और शक्ति दोनों देवियों की आराधना और उपासना आवश्यक है। जिस प्रकार विद्या की देवी सरस्वती है, उसी प्रकार शक्ति की देवी दुर्गा है। विजया दशमी दुर्गा देवी की आराधना का पर्व है, जो शक्ति और साहस प्रदान करती है। यह पर्व … Read more

भाग्य मुकद्दर नसीब पर कविता

भाग्य/मुकद्दर/नसीब पर कविता- सोरठा छंद कर्म लिखे का खेल, भाग्य भूमि जन देश का।कौरव कुल दल मेल, करा न माधव भी सके।। लक्ष्मण सीताराम, भाग्य लेख वनवास था।छूट गये धन धाम, राजतिलक भूले सभी।। पांचाली के भाग्य, पाँच पति जगजीत थे।भोगे वन वैराग्य, कृष्ण सखी जलती रही।। कहते यही सुजान, भाग्य बदलते कर्म से।जग में … Read more