बड़ अच्छा लगथे / राजकुमार ‘मसखरे

बड़ अच्छा लगथे / राजकुमार 'मसखरे

बड़ अच्छा लगथे “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया”ये नारा बड़ अच्छा लगथे !ये नारा बनइया के मन भरपयलगी करे के मन करथे !! जब छत्तीसगढ़िया मनगुजराती लॉज/राजस्थानी लॉज म रुकथेहरियाणा जलेबी/बंगाली चाय के बड़ई करथेबड़ अच्छा लगथे !! जब छत्तीसगढ़िया मनअपन घर म कोनों काम-कारज ल धरथेबीकानेर/जलाराम ले मन भर खरीदी करथेबड़ अच्छा लगथे !! जब छत्तीसगढ़िया … Read more

बसंत ऋतु / राजकुमार मसखरे

बसंत ऋतु

राजा बसंत / राजकुमार मसखरे आ…जा आ…जाओ,हे ! ऋतुराज बसन्त,अभिनंदन करते हैं तेरा, अनन्त अनन्त ! मचलते,इतराते,बड़ी खूबसूरत हो आगाज़,आओ जलवा बिखेरो,मेरे मितवा,हमराज़ ! देखो अब ये सर्दियाँ, ठिठुरन तो जाने लगी,यह सुहाना मौसम, सभी को है भाने लगी ! पेड़- पौधों में नव- नव कोपलें आने को हैं,अमियाँ में तो बौर ही बौर ,लद … Read more

चेहरे पे कई चेहरे / राजकुमार मसखरे

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चेहरे पे कई चेहरे / राजकुमार मसखरे चेहरे पे लगे हैं कई चेहरेइन्हें पढ़ना आसान नही,जो दिखती है मुस्कुराहटेंवो नजरें हैं दूर और कहीं ! इतने सीधे-सादे लगते हैंजो मुखौटा लगाए बैठे हैं,ये निर्बलों व असहायों केजज़्बातों के गला ऐठें हैं ! मासूम चेहरा,इरादे खिन्नभीतर राज छुपा रखते हैं,जब भी मौका मिले इन्हें गरल वमन … Read more

राम को माने राम का नही/राजकुमार ‘मसखरे’

Jai Sri Ram kavitabahar

राम को माने,राम का नही (राम की प्रकृति पूजा) ओ मेरे प्रभु वनवासी रामआ जाओ अपनी धराधाम,चौदह वर्ष तक पितृवचन मेंवन-वन विचरे बिना विराम! निषाद राज गंगा पार करायेकंदमूल खाकर सरिता नहाए,असुरों को राम ख़ूब संहारेऋषिमुनियों को जो थे सताए ! भूमि कन्या थी सीतामाईशेष अवतारी लक्ष्मण भाई ,पर्ण कुटी सङ्ग,घास बिछौनाभील राज सङ्ग करे … Read more

लो..और कर लो विकास पर कविता

*लो..और कर लो विकास !* ग्लेशियर का टूटना और ये भूकम्प का आनाभूस्खलन,सुरंग धसना और बादल फटना,सरकार और कॉरपोरेट जगत तो मानते हैंये सभी है महज एक सहज प्राकृतिक घटना ! इस तरह की कई हादसों का जिम्मेदार हैविकास की भूख और कई-कई परियोजना ,होटल,रिसॉर्ट,पुल,बांध,विभिन्न अवैध खनन और अनियंत्रित मानव बसाहट का होना ! कई … Read more