
आंसू पर कविता
आंसू पर कविता दर्द जब पिघलता है तो बह आते हैं आँसूसुख में हों या हो दुख में रह जाते हैं आँसू विकट वेदना पीर बहेआघातों के तीर सहेकंपित अधरें मौन रहेगूंगी वाणी व्यथा कहे सूनी सूनी पलकों पर हिमकण…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० सुधा शर्मा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
आंसू पर कविता दर्द जब पिघलता है तो बह आते हैं आँसूसुख में हों या हो दुख में रह जाते हैं आँसू विकट वेदना पीर बहेआघातों के तीर सहेकंपित अधरें मौन रहेगूंगी वाणी व्यथा कहे सूनी सूनी पलकों पर हिमकण…
जीवन के झंझावातों में श्रमिक बन जाते है नन्ही नन्ही कोमल कायानिज स्वेद बहाते हैं।जीवन के झंझावातों में,श्रमिक बन जाते है।हाथ खिलौने वाले देखो,ईंटों को झेल रहे।नसीब नहीं किताबें इनकोमिट्टी से खेल रहेकठिन मेहनत करते है तबदो रोटी पाते है।जीवन…
शरद पूर्णिमा पर कुंडलिया छंद 1—- उज्ज्वल- उज्ज्वल है धरा,चंद्र -किरण बरसात । चाँद गगन से झाँकता ,रूप मनोहर गात।। रूप मनोहर गात ,रजत सम बहती धारा। लिए शरद सौगात ,चंद्र का रूप निखारा।। कहे सुधा सुन मीत , प्रीत…
वतन को नमन करता हूँ भारत माँ की चरण धूलि,चंदन माथे धरता हूँ ।सपूत हूँ नाम वतन के ,जीवन अर्पण करता हूँ । बहता शोणित यूँ रगों में,जलते अंगारों सासिंधु प्रलय सा उठती लहरें,उर में ललकारों कासिंहनाद हूँकारें भरकर,शत्रुओं से…
बोझ पर कविता कभी कभीकलम भी बोझ लगने लगती हैजब शब्द नहीं देते साथअंतरभावों काउमड़ती पीड़ायें दफन हो जातीभीतर कहींउबलता है कुछधधकता हैज्वालामुखी सीविचारों के बवंडरभूकंप सा कंपाते हैमन मस्तिष्क कोऔर सारे तत्वों के बावजूदमन अकेला हो जाता हैउस माँ…
बेटियाँ बेटियां प्रकृति की देन है,बेटियां देवदूत,देव कन्याएँ है,कोमल इनकी भावनाएँ है,बेटियां अप्सराएँ है,लक्ष्मी, सरस्वती, सावित्री है।बेटियां अन्नपूर्णा सी उपमाएँबेटियां वेदों सी पवित्र है,बेटियां संस्कारो की धरोहर है,बेटियां नव निर्माण की कल्पनाएँ ,बेटियां ईश्रवर का लेख है।बेटियां खिलती कलियां है,बेटियां…
मानव जीवन मिल पाता है कभी कभी – सुधा शर्मा जीवन में ऐसा भी वक्त आता है कभी कभीकोई भीड़ में तन्हा हो जाता है कभी कभी सपनों के घरौंदे सारे बिखर जाते हैं स्मृतियों का इक महल बन जाता…
जीवन में रंग भरने दो – सुधा शर्मा कैसे हो जाता है मन ऐसी क्रूरता करने को? अपना ही लहू बहा रहे जाने किस सुख वरणे को ? आधुनिक प्रवाह में बहे चाहें जीवन सुख गहे वासनाओं के ज्वार में…
इस वर्ष नववर्ष पर कविता बहार द्वारा निम्न हिंदी कविता संकलित की गयी हैं आपको कौन सा अच्छा लगा कमेंट कर जरुर बताएं नववर्ष पर हिंदी कविता : महदीप जँघेल निशिदिन सुख शांति की उषा हो,न शत्रुता, न ही हो…
दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवी, शक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं।शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया…