विश्व बाल दिवस पर कविता

जवाहरलाल नेहरू

विश्व बाल दिवस पर दोहा:- बाल दिवस पर विश्व में,हों जलसे भरपूर!बच्चों का अधिकार है,बचपन क्यों हो दूर!!१ कवि , ऐसा साहित्य रच,बचपन हो साकार!हर बालक को मिल सके,मूलभूत अधिकार!!२ बाल श्रमिक,भिक्षुक बने,बँधुआ सम मजदूर!उनके हक की बात हो,जो बालक मजबूर!! ३ बाबूलाल शर्मा अलबेला बचपन पर हास्य कविता मेरा बचपन बड़ा निराला,कुचमादों का डेरा … Read more

दूध पर कविता

मेरे स्कूल का दूध (एक घटना) दुःख ही जीवन की कथा रही यह सदा कष्ट की व्यथा रही। कब तक कोई लड़ सकता है! कब तक कष्टें सह सकता है हो सहनशक्ति जब पीर परे है कौन धीर धर सकता है? मन डोल उठा यह देख दृश्य उस बच्ची का जीवन भविष्य जो आयी थी … Read more

शबरी का बेर

कविता -शबरी के बेर शबरी का वह बेर नही था सच्ची भक्ती प्रेम वही था ना छुआछूत ना जाति पात भाव भक्ति अनमोल वही था शबरी का संदेश यही था, शबरी का वह बेर नही था। बेरों सा अच्छाई चुन लो मीठी मीठी सपने बुन लो राह देखती शबरी सा तुम आहट अपने मन में … Read more

जिम्मेदारी पर कविता

कविता-जिम्मेदारियां जिम्मेदारियां एक बोझ है ढोने वाले पर लद जाते हैं, ना ढोने वाले को नासमझ/ नालायक/ आवारा लोग कह जाते हैं, जिम्मेदारियां, जीवन का एक पहलू है बिना जिम्मेदारी के जीवन जानवर का बन जाते हैं , जिम्मेदारियों से घबड़ाना/ चिल्लाना/ कभी नहीं परेशानियां तो इनके संग ही आते हैं, जिम्मेदारियों से अपनो में … Read more

जीवन का पथ

जीवन का पथ दूर भले हो पथ जीवन का त्याग हौसिला कभी न मन का चलना सीखो अपने पथ पर चलते चलना बढ़ हर पग पर आलस में ना समय गवांना बिना अर्थ ना समय बिताना लक्ष्य तभी जब ना पाओगे मलते हाथ ही रह जाओगे सुख दु:ख दोनों मिलते पथ में संग चले जीवन … Read more