
हिन्द देश के अंबर पर
हिन्द देश के अंबर पर नव सज्जित आज विहान है हिन्द देश के अंबर परनव सज्जित आज विहान हैहर्षित हो लहराए तिरंगादेशप्रेम में डूबा देश जहान है। आजादी के दीवानों नेसंविधान निर्माण की ठानी थीऊँच नीच का भेद नहीं थाउन्मुक्त…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०कुसुम लता पुंडोरा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
हिन्द देश के अंबर पर नव सज्जित आज विहान है हिन्द देश के अंबर परनव सज्जित आज विहान हैहर्षित हो लहराए तिरंगादेशप्रेम में डूबा देश जहान है। आजादी के दीवानों नेसंविधान निर्माण की ठानी थीऊँच नीच का भेद नहीं थाउन्मुक्त…
भँवरा मधु का अभिलाषी भँवराकरे मधुऋतु का इंतजारभर गई नव मुकुल गागरीचहुँ ओर चली है मंद बयार।पुष्प-पुष्प पर भ्रमर मंडराएगीत नव मिलन गुनगुनाएमकरंद भरी मंजरी हृदय परचिरंतन सुख मधुप को भाए।यौवन छा गया कुसुमों परमहकी कोंपल पुष्पों की डालीरसपान करे …
सरस्वती वंदना माँ सरस्वती शारदेबुद्धि प्रदायिनी ज्ञानदायिनीपद्मासना श्वेत वस्त्रा माँअज्ञानता हर ज्ञान दे माँ हंसवाहिनी।तेरे चरणों की पावन रज कणललाट पर मेरे सुशोभित रहे माँविस्तार हो मेरे ज्ञान का असीमितकलम मेरी वरदहस्त रहे माँ।धूप दीप नैवेद्य शुभ अर्चन वंदनकष्ट पीर…
भ्रूण हत्या पर कविता भ्रूण हत्या का मचा एक नीरव रोर है,चोरी छिपे लिंग जाँच हर दिशा हर ओर है।जाने क्यों बेटी की हत्या का शौक ये चढ़ आया,गर्भ में ही भेदभाव का ये कृत्य सबको भाया। अपने ही कोख…
इस वर्ष नववर्ष पर कविता बहार द्वारा निम्न हिंदी कविता संकलित की गयी हैं आपको कौन सा अच्छा लगा कमेंट कर जरुर बताएं नववर्ष पर हिंदी कविता : महदीप जँघेल निशिदिन सुख शांति की उषा हो,न शत्रुता, न ही हो…
जल से जीवन जगत चराचर जल से जीवन जगत चराचर जल ही है जीवन और प्राण जल बिन अस्तित्व नहीं कोई हैं समक्ष हमारे कई प्रमाण l जीवन का कोई काज न ऐसा जल बिन हो जाए जो पूरा धरती…
कटुक वचन है ज़हर सम वाणी ही है खींचती भला बुरा छवि चित्रवाणी से बैरी बने वाणी से ही मित्रसंयम राखिए वाणी पर वाणी है अनमोलनिकसत है इक बार तो विष रस देती घोल। कटुक वचन है ज़हर सम मीठे…
बासंतिक नवरात्रि की आई मधुर बहार बासंतिक नवरात्रि की आई मधुर बहारआह्वान तेरा है मेरी मां आजा मेरे द्वारमंदिर चौकी कलश सज गएदर्शन दे माता दुर्गे होकर सिंह सवार।नौ दिन हैं नवरात्रि के नवरूप तेरे अपारलाल चुनर साड़ी सिंदूर से…
मोबाइल महाराज जय हो तुम्हारी हे मोबाइल महाराजतकनीकि युग के तुम ही हो सरताजबिन भोजन दिन कट जाता हैपर तुम बिन क्षण पल नहीं न आज।हे मोबाइल तुम बिन सुबह न होवेतुम संग आॅनलाइन रह सकें पूरी रातगुडमार्निंग से लेकर…
अपनापन पर कविता अपनापन ये शब्द जहां काहोता सबसे अनमोलप्यार नेह से मिल जातासंग जब हों मीठे बोल। अपनापन यदि जीवन में होहर लम्हा रंगे बहारअपने ही गैर बन जाएं तोग़म का दरिया है संसार। अपनेपन की अभिलाषी थीमैं अपनों…