आज का नेता पर कविता
आज का नेता पर कविता जहाँ बहरी सियासत है, जहाँ कानून है अंधा।करें किसपे भरोसा तब, जहाँ पे झूठ है धँधा।विचारों पे लगा पहरा,बड़ा ये ज़ख्म है गहरा,भला क्या देश का होगा,सियासी रंग है गन्दा।। मुनाफ़े का बड़ा धंधा, कभी होता नहीं मंदा।सियासी वस्त्र है ऐसा, कभी होता नहीं गंदा।सफेदी में छिपा लेता, सभी गुनाह … Read more