मनीभाई नवरत्न

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

मेरे सांसों ने तेरे कानों में

मेरे सांसों ने तेरे कानों में मेरे सांसों ने तेरे कानों मेंअपने दिल का पैगाम दिया ।गुजरी तुझ पर क्या जानेमन ?क्या इसका अंजाम हुआ? धोखा में ना रखना ,सनम तू मुझको ।बरसों से चाहत है चाहे तू मेरे दिल…

तेरे लिए करूं दुआ हर पल सदा

तेरे लिए करूं दुआ हर पल सदा तेरे लिए करूं दुआ, हर पल सदा ,तुझे ना पता।देखकर अनदेखा, ना कर जाने जा और ना सता। ख्वाबों की लकीर, पर बनती है तेरी तस्वीर ।छूना चाहूं, छू ना पाऊं हाथों में…

सलाम हुजूर तुझे मेरा सलाम

सलाम हुजूर तुझे मेरा सलाम तेरी जुल्फों की छैयां तले है अपना मकान ।तेरे आशिकों के बही खाते में है अपना नाम ।सलाम हुजूर तुझे मेरा सलाम सुने हैं मेरे कानों में तेरे अदाओं के चर्चेबटे हैं जगह जगह तेरे…

इस फूल में कांटा है

इस फूल में कांटा है ,सौदा ए दिल घाटा है ।बाहर से रौनक लगेअंदर से सन्नाटा है।।चुमना चाहो इन्हें , तो ये चुभेेंगे।हर बात पे तुम्हें , ये तौलेंगे ।इनके तेवर है लंबे …..हम भले ही नाटा हैं।सौदा ना कर…