हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर कविता
हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर कविता सच कहो,चाहे तख्त पलट दो, चाहे ताज बदल दोभले “साहब” गुस्सा हो, चाहे दुनिया इधर से उधर होतुम रहो या ना रहोपर, जब कुछ कहो तो, सच कहो। सच पर ही तो, न्याय टिका हैशासन खड़ा है, धर्म बना हैहे लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ!सच से ही तुम होतो, अगर कुछ … Read more