Tag: #सुकमोती चौहान ‘रूचि’

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० सुकमोती चौहान ‘रूचि’ के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • काम पर कविता/ सुकमोती चौहान

    काम पर कविता/ सुकमोती चौहान

    काम पर कविता

    लाख निकाले दोष, काम होगा यह उनका।
    उन पर कर न विचार, पाल मत खटका मन का।
    करना है जो काम, बेझिझक करते चलना।
    टाँग खींचते लोग, किन्तु राही मत रुकना।
    कुत्ते सारे भौंकते, हाथी रहता मस्त है।
    अपने मन की जो सुने, उसकी राह प्रशस्त है।

    ये दुनिया है यार, चले बस दुनियादारी।
    बन जायेगा बोझ, शीश पर जिम्मे भारी।
    कितना कर लो काम, कर न सकते खुश सबको।
    काम करो बस आज, बुरा जो लगे न रब को।
    इतना करना भी बहुत, बड़ा काम है जान ले।
    खुद पर है विश्वास तो , जीवन सार्थक मान ले।।

    डॉ सुकमोती चौहान रुचि
    बिछिया, महासमुंद, छ ग

  • शाकाहार पर दोहे/ डॉ सुकमोती चौहान रुचि

    शाकाहार पर दोहे/ डॉ सुकमोती चौहान रुचि

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहार सर्वोत्तम आहार

    रोटी चावल दाल है, मानव का आहार।
    शाकाहारी बन मनुज, जीवन का आधार।।

    केवल शाकाहार ही, मनु शरीर अनुकूल।
    पोषक तत्वों से भरा, होता सब्जी मूल।।

    शाकाहारी भोज से, बढ़ता सात्विक भाव।
    हो विकास बल बुद्धि का, मिटता मन का ताव।।

    शाकाहारी भोज ही, होता अति स्वादिष्ट।
    कंदमूल फल फूल में, पोषक तत्त्व विशिष्ट।।

    सरस्वती बसती सदा, मानव जिह्वा मध्य।
    सेवन कर मत मांस का, कहती रुचि निज पद्य।।

    राक्षस करते मांस का, भक्षण हे इंसान।
    तू मानव है इसलिए, खाना नहीं विधान।।

    डॉ सुकमोती चौहान रुचि

  • पितृ पक्ष पर कविता 2021 -राजेश पान्डेय वत्स (मनहरण घनाक्षरी)

    हम यहाँ पर आपको पितृ पक्ष पर कविता प्रस्तुत कर रहे हैं आशा है आपको यह पसंद आएगी .

    कविता 1.

    झिलमिल उजियारी,समीप शरद ऋतु, 
    मणि जैसे ओस पड़े, 
    बिछे हुये घास में!

    तेज चले चुस्त लोग, कुछ दिखे लगा योग, 
    अम्बर की ओर ताके, 
    सूरज की आस में!

    धीमे धीमे वृताकार, लाल रंग लिये हुये, 
    खिली कली खुश मन, 
    फूलों के सुवास में!

    दिनकर देख नैन, शुभ भोर गई रैन, 
    वत्स गा ले राम गान, 
    पितृ पक्ष मास में!

    –राजेश पान्डेय वत्स!

    कविता 2. 

    आया जब पितृपक्ष, बनाते हलवा पूरी |
    बड़ा फरा के भोग, बिजौरी भूरी -भूरी ||
    उत्सव का माहौल, दशम दिन तक रहता है |
    पितर पक्ष का भोग, रोज कागा चखता है ||
    घर पर दादी भूख से, देखो अकुलाती रही |
    मृतकों को दे भोज सब, दादी मुरझाती रही ||


    जीते जी दुत्कार, मृत्य पर रोते धोते |
    दिये न रोटी दाल, मृत्यु पर भोज चढ़ाते ||
    चलता रहा कुरीत, आँख मूँदे अपनाते |
    करते कितने ढ़ोग, हाय फिर भी इठलाते ||
    क्यों आडम्बर में बहे, तेरी फितरत यह नहीं |
    भोजन भूखे को खिला, पितर तृप्त होंगे वहीं ||


    भूलो मत यह बात , आत्म से मानव जागो |
    लगे बुरी जो रीत, उसे तत्क्षण ही त्यागो ||
    तोड़ दीजिए रीत , करो साहस हे मनुजों |
    भूखे को दो भोज, कसम ले लो हे अनुजों ||
    कहो करोगे काम यह, छोड़ों काले काग को |
    फेंक कुसंस्कृत रीत को, अपना पाक विभाग को ||

    सुकमोती चौहान रुचि
    बिछिया, महासमुंद, छ. ग.

  • विश्वास अपेक्षा महत्व पर कविता

    विश्वास अपेक्षा महत्व पर कविता

    १.विश्वास

    सफल रिश्ते का साँस है विश्वास
    विश्वास की नींव पर
    संसार टिका है साहब
    कर विश्वास हर शख्स पर,
    पर खुद से ज्यादा
    न करो कभी किसी पर विश्वास।


    २.अपेक्षा

    अपेक्षा रखते हैं बहुत हम
    कितने लोगों से किस हद तक
    अपेक्षाएं रिश्तों को बाँधती हैं
    पर जरुरत से ज्यादा
    न रखो किसी से अपेक्षा।


    ३.महत्व

    तुच्छ से तुच्छ वस्तु का
    एक अपना महत्त्व होता है
    किसी को न समझो महत्वहीन
    पर हद से ज्यादा
    न दो किसी को महत्व
    विश्वास,अपेक्षा,महत्व
    मेरी दृष्टि में ये तीन तत्व
    बड़े अर्थपूर्ण है जीवन में।
    पर जरुरत से ज्यादा हो तो
    अदृश्य दरार बनता रिश्ते में।


    ✍सुकमोती चौहान “रुचि”
    बिछिया (सा),तह- बसना,जि.- महासमुन्द,छ.ग.
    मो.न.6265999951

  • गणेश चतुर्थी पर कविता

    गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।

    भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।

    गणेश चतुर्थी पर कविता

    जय जय देव गणेश,विघ्न हर्ता वंदन है।

    लम्बोदर शुभ नाम,शक्ति शंकर नंदन है।

    भाद्रपद शुक्ल श्रीगणेश चतुर्थी Bhadrapad Shukla Shriganesh Chaturthi
    भाद्रपद शुक्ल श्रीगणेश चतुर्थी Bhadrapad Shukla Shriganesh Chaturthi

    सर्व सगुण की मूर्ति ,रिद्धि सिद्धि जगत मालिक।

    अतुल ज्ञान भंडार,सुमंगल अति चिर कालिक।

    सबके घमंड दूर कर,दिल में भरते तरलता।

    इनके परम प्रताप से,मिले सदा सफलता।  

    ✍ सुकमोती चौहान रुचि बिछिया,महासमुन्द,छ.ग।