हार न अपनी मानूँगा मैं ! / गोपालदास “नीरज”

हार न अपनी मानूँगा मैं ! / गोपालदास "नीरज" कविता संग्रह हार न अपनी मानूँगा मैं ! चाहे पथ में शूल बिछाओचाहे ज्वालामुखी बसाओ,किन्तु मुझे जब जाना ही है —तलवारों की…

खिलते हैं गुल यहाँ / गोपालदास “नीरज”

खिलते हैं गुल यहाँ / गोपालदास "नीरज" कविता संग्रह खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखरने कोमिलते हैं दिल यहाँ, मिलके बिछड़ने कोखिलते हैं गुल यहाँ... कल रहे ना रहे, मौसम…

दिल आज शायर है / गोपालदास “नीरज”

दिल आज शायर है / गोपालदास "नीरज" कविता संग्रह दिल आज शायर है, ग़म आज नग़मा हैशब ये ग़ज़ल है सनमगैरों के शेरों को ओ सुनने वालेहो इस तरफ़ भी…

लिखे जो खत तुझे / गोपालदास “नीरज”

लिखे जो खत तुझे / गोपालदास "नीरज" कविता संग्रह लिखे जो ख़त तुझेवो तेरी याद मेंहज़ारों रंग केनज़ारे बन गए सवेरा जब हुआतो फूल बन गएजो रात आई तोसितारे बन…

शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब / गोपालदास “नीरज”

शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब / गोपालदास "नीरज" कविता संग्रह शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाबउसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराबहोगा यूँ नशा जो तैयारहाँ...होगा यूँ…

वो हम न थे वो तुम न थे / गोपालदास “नीरज”

वो हम न थे वो तुम न थे / गोपालदास "नीरज" कविता संग्रह वो हम न थे, वो तुम न थे, वो रहगुज़र थी प्यार कीलुटी जहाँ पे बेवजह, पालकी…

आज की रात बड़ी शोख़ बड़ी नटखट है / गोपालदास नीरज

आज की रात बड़ी शोख़ बड़ी नटखट है कविता संग्रह आज की रात बड़ी शोख़ बड़ी नटखट है आज तो तेरे बिना नींद नहीं आएगी आज तो तेरे ही आने…

जो कहा नही गया / अज्ञेय

जो कहा नही गया / अज्ञेय है,अभी कुछ जो कहा नहीं गया । उठी एक किरण, धायी, क्षितिज को नाप गई,सुख की स्मिति कसक भरी,निर्धन की नैन-कोरों में काँप गई,बच्चे…

मैंने आहुति बन कर देखा / अज्ञेय

मैंने आहुति बन कर देखा / अज्ञेय मैं कब कहता हूँ जग मेरी दुर्धर गति के अनुकूल बने,मैं कब कहता हूँ जीवन-मरू नंदन-कानन का फूल बने ?काँटा कठोर है, तीखा है,…

उधार / अज्ञेय

उधार / अज्ञेय सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थीऔर एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी। मैनें धूप से कहा: मुझे थोड़ी गरमाई दोगी उधारचिड़िया से कहा: थोड़ी…