दीपक पर कविता

दीपक पर कविता दीया जलाएं- सुरंजना पाण्डेय माना कि चहुँओर घोर तमस हैअन्धियारा घना छाया बहुत हैं। पर दीया जलाना कब मना हैआईए हम मन में विश्वास काएक दीया तो…
छेरछेरा तिहार के सुग्घर कविता

छेरछेरा तिहार के सुग्घर कविता

छेरछेरा तिहार के सुग्घर कविता छेरछेरा - अनिल कुमार वर्मा होत बिहनिया झोला धरके,सबो दुआरी जाबो।छेरछेरा के दान ल पाके,जुरमिल मजा उड़ाबो।।फुटगे कोठी बोरा उतरगे, सूपा पसर ले मुठा उतरगे।…

हे पार्थ ! सदा आगे बढ़ो तुम- आशीष कुमार

हे पार्थ ! सदा आगे बढ़ो तुम हे पार्थ ! सदा आगे बढ़ो तुमकर्तव्य पथ पर डटो तुममुश्किलों का सामना करोतूफान के आगे भी अड़ो तुमहे पार्थ ! सदा आगे…

हमर छेरछेरा तिहार-डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर

गीत - हमर छेरछेरा तिहार छत्तीसगाढ़ी रचना सुख के सुरुज अंजोर करे हे,हम सबझन के डेरा म।हाँसत कुलकत नाचत गावत,झूमत हन छेरछेरा म।। //1//आज जम्मो झन बड़े बिहनिया, ले छेरछेरा…

परोपकार पर हिंदी में कविता

परोपकार पर हिंदी में कविता परोपकार पर कविता-सुधीर श्रीवास्तव संवेदनशील भावसंवेदनाओं के स्वर परोपकार की निःस्वार्थ भावनागैरों की चिंता से जोड़करस्वेच्छा से सामने वाले की पीड़ा से/मर्म सेखुद को जोड़ने…

संस्कार(जीवन मूल्य) पर हिंदी कविता-सुरंजना पाण्डेय

संस्कार(जीवन मूल्य) पर हिंदी कविता कविता संग्रह बलिदानों को क्यूँ कर रहे तिजारत यूंदेश को क्यूँ बाट रहे हर रोज रहे हम यूं। अपनी देश की मिटटी को क्यों कर…

जीवन मूल्य पर आधारित कविता-राजकिशोर धिरही

जीवन मूल्य पर आधारित कविता कविता संग्रह कोई भी विपदा आ जाए,कभी नहीं घबराना।बाधाओं से लड़कर के ही,हमको बढ़ते जाना।।सत्य मार्ग में चलकर के हम,लक्ष्य सदा पा सकते ।कठिन डगर…

सेवा -प्रेम आधारित कविता-डॉ शशिकला अवस्थी

सेवा -प्रेम आधारित कविता सेवा ,प्रेम पुण्योदय से हो जाओ मालामाल।प्रभु खुशियों से झोली भर कर, हे मानव तुम्हें कर देंगे खुशहाल। जनहित के कार्य करो, कोई ना रहे बेहाल।परमार्थ…
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बाबूलाल शर्मा के लावणी छंद

बाबूलाल शर्मा के लावणी छंद काव्य रंगोली- लावणी छंद पूजा की थाली सजती हैअक्षत पुष्प रखें रोली।काव्यजगत में ध्रुव सी चमके,कवि प्रिया,काव्य रंगोली।हिन्दी साहित सृजन साधना,साध करे भाषा बोली।कविता गीत…

बाबूलाल बौहरा के कुण्डलियाँ छंद

बाबूलाल बौहरा के कुण्डलियाँ छंद छंद संवेदना -कुण्डलिया छंद होती है संवेदना, कवि  पशु  पंछी  वृक्ष।मानव मानस हो रहे, स्वार्थ पक्ष विपक्ष।स्वार्थ पक्ष विपक्ष, शून्य  संवेदन  बनते।जाति धर्म के वाद,बंधु…