रजत विषय पर दोहा

रजत विषय पर दोहा रजत वर्ण की चाँदनी,फैल रही चहुँओर।चमक रहा है चंद्रमा, लगे रात भी भोर।। रात अमावस बाद ही , होता पूर्ण उजास।दुग्ध धवल सी पूर्णिमा,करती रजत प्रकाश।।…

दंगों से पहले पर कविता

दंगों से पहले पर कविता दंगों से पहले शांत महौल थाइस शहर कादंगों से पहले नाम निशाननहीँ था वैर कादंगों से पहले अंकुरित नहीँ थाबीज जहर कादंगों से पहले सौहार्द-सदभाव…

जाति धर्म पर कविता

जाति धर्म पर कविता इंसान-इंसान के बीचकितनी हैं दूरियांइंसान-इंसान कोनहीं मानता इंसानमानता हैकिसी न किसीजाति काधर्म काप्रतिनिधिइंसान की पहचानइंसानियत न होकरबन गई पहचानजाति व धर्म हो गई परिस्थितियांबड़ी विकटविवाह-शादीकार-व्यवहारक्रय-विक्रयसब कुछ…

चित्र मित्र इत्र विचित्र पर कविता

चित्र मित्र इत्र विचित्र पर कविता चित्र रचित कपि देखकर,डरती सिय सुकुमारि।अगम पंथ वनवास में, रहती जनक दुलारि।। मित्र मिले यदि कर्ण सा, सखा कृष्ण सा साथ।विजित सकल संसार भव,…

शिखण्डी पर कविता

शिखण्डी पर कविता पार्थ जैसा हो कठिन,व्रत अखण्डी चाहिए।*आज जीने के लिए,**इक शिखण्डी चाहिए।।* देश अपना हो विजित,धारणा ऐसी रखें।शत्रु नानी याद कर,स्वाद फिर ऐसा चखे। सैन्य हो अक्षुण्य बस,व्यूह्…

सूरज पर कविता

सूरज पर कविता सुबह सबेरे दृश्य मीत यामिनी ढलना तय है,कब लग पाया ताला है।*चीर तिमिर की छाती को अब,**सूरज उगने वाला है।।* आशाओं के दीप जले नित,विश्वासों की छाँया…

शिक्षा पर कविता

शिक्षा पर कविता शिक्षा का अधिकार सभी कोसभी शिक्षित कीजिये।कहते है महादान इसकोदान सबको दीजिए।।1।। शिक्षा का ये क्षेत्र असीमितअनुसंधान कीजिये।अधुनातन नवतकनीकों सेजनकल्याण कीजिये।।2।। शिक्षा से कोई भी वंचितरहे ना…

सार छंद विधान – बाबूलालशर्मा

सार छंद विधान ऋतु बसंत लाई पछुआई, बीत रही शीतलता।पतझड़ आए कुहुके,कोयल,विरहा मानस जलता। नव कोंपल नवकली खिली है,भृंगों का आकर्षण।तितली मधु मक्खी रस चूषक,करते पुष्प समर्पण। बिना देह के…

हिमालय पर कविता

हिमालय पर कविता नेपाल, चीन सीमा पर स्थित,हिमालय पर्वत की चोटी।गंगा यही से निकलती है,पत्थरों के साथ बहती है।हिमालय को पर्वत राज,नाम से जाना जाता है।पर्वतों का राजा माउंट एवरेस्ट,सबसे…
ओजोन परत

पर्यावरण संरक्षण पर कविता

पर्यावरण संरक्षण पर कविता दूषित हुई हवावतन कीकट गए पेड़सद्भाव केबह गई नैतिकतामृदा अपर्दन मेंहो गईं खोखली जड़ेंइंसानियत कीघट रही समानताओजोन परत की तरहदिलों की सरिताहो गई दूषितमिल गया इसमेंस्वार्थपरता…