निषादराज के दोहे

*निषादराज के दोहे (1) संसारकितना प्यारा देख लो,ये अपना संसार।स्वर्ग बराबर हैं लगे,गाँव-शहर वनद्वार।। (2) समयसमय बड़ा अनमोल है,कीमत समझो यार।समय बीत जब जायगा,फँसो नहीं मझधार।। (3) गतिअपनी गति में…
village based Poem

मेरे गांव का बरगद – नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

मेरे गांव का बरगद  मेरे गाँव का बरगदआज भी वैसे ही खड़ा हैजैसे बचपन में देखा करता थाजब से मैंने होश संभाला हैअविचलवैसे ही पाया है हम बचपन में उनकी लटों से झूला…

जीवन रुपी रेलगाड़ी – सावित्री मिश्रा

जीवन रुपी रेलगाड़ी कभी लगता है जीवन एक खेल है,कभी लगता है जीवन एक जेल है।पर  मुझे लगता है कि ये जीवनदो पटरियों पर दौड़ती रेल है।भगवान ने जीवन रुपी…

तुम्हारे होने का अहसास

तुम्हारे होने का अहसास तुम आसपास नहीं होतेमगर आसपास होते हैंतम्हारे होने का अहसासमन -मस्तिष्क में संचिततुम्हारी आवाजतुम्हारी छविअक़्सरहूबहूवैसी-हीबाहर सुनाई देती हैदिखाई देती हैतत्क्षणतुम्हारे होने के अहसास से भर जाता हूँधड़क जाता…
हाइकु

सुकमोती चौहान के हाइकु

सुकमोती चौहान के हाइकु पितर पाख~पति की तस्वीर मेंफूलों की माला। पूस की रात~भुट्टे भून रही हैअलाव में माँ। श्मशान घाट~कुत्ते के भौंकने सेसहमा रामू। श्रृंगार पेटी~गौरैया नोंचे देखशीशा में…

बेटी की पुकार

      बेटी की पुकार बेटी की व्यथा पिता का मैं ख्याल रखूंगीतेरे कहे अनुसार मैं चलूंगीरूखी सूखी ही मैं खा लूंगीमत मार मुझे सुन मेरी मांमुझे धरा पर…

संकल्प कविता

संकल्प मेरी अंजुरी में भरे,जुगनू से चमकते,कुछ अक्षर हैं!जो अकुलाते हैं,छटपटाते हैं!सकुचाते हुए कहते हैं-एकाग्र चित्त होकर,अब ध्यान धरो!भीतर की शांति सेकोलाहल कम करो!अंतर के तम को मिटाकर,दिव्य प्रकाश भरो!झंझोड़…

मुझे अभी नहीं सोना है

मुझे अभी नहीं सोना है मुझे अभी नहीं सोना है। जब तक थक कर चूर न हो जाऊँ, भावनाओं का बोझ ढोना है। मुझे अभी नहीं सोना है। ख्वाब जब तक न हों…

प्रश्न है अब आन का-प्रवीण त्रिपाठी

प्रश्न है अब आन का हर  प्रगति  के  मूल में  स्थान  है  विज्ञान का।खोज करता नित्य जो उपयोग करके ज्ञान का।1 रात दिन वो जूझते भारत कभी पीछे न हो।देश…