जिन्दगी पर कविता – पुष्पा शर्मा

जिन्दगी का मकसद kavita bahar रोज सोचती हूँ।जिन्दगी का मकसदताकती ही रहती हूँमंजिल की लम्बी राह। सोचती ही रहती हूँप्रकृति की गतिविधियाँ,जो चलती रहती अविराम।सूरज का उदय अस्तरजनी दिवस का…

आज भी बिखरे पड़े हैं – गंगाधर मनबोध गांगुली

आज भी बिखरे पड़े हैं - गंगाधर मनबोध गांगुली कविता संग्रह         गंगाधर मनबोध गांगुली " सुलेख "           समाज सुधारक " युवा कवि " कल तक बिखरे पड़े थे ,           आज…

लालसा पर कविता – पूनम दुबे

लालसा पर कविता कविता संग्रह जो कभी खत्म ना हो,रोज एक के बाद एक,नई इच्छाओं का जन्म होना,पाने की धुन बनी रहती है, लालसा सबको खुश रखने तक,सपनों को पूरा…

महानदी पर कविता – केवरा यदु

मोर महानदी के पानी मा - केवरा यदु चाँदी कस चमके चम चम जिंहा चंदा नाचे छम छम ।सोंढू पैरी के संगम भोले के ड़मरु  ड़म ड़म ।मोर महानदी के…

संतोषी महंत की नवगीत – संतोषी महंत

संतोषी महंत की नवगीत कविता संग्रह हंसकर जीवन​-अथ लिख दें या रोकर अंजाम लिखें।जीवन  की  पीड़ाओं  के औ कितने आयाम लिखें।। धाराओं ने सदा संभालातटबंधों ने रार किया।बचकर कांटों से…
हाइकु

एकांत/हाइकु/निमाई प्रधान’क्षितिज’

एकांत/हाइकु/निमाई प्रधान'क्षितिज' kavitabahar logo [१]मेरा एकांत सहचर-सर्जक उर्वर प्रांत! [२]दूर दिनांततरु-तल-पसरा मृदु एकांत! [३]वो एकांतघ्न वातायन-भ्रमर न रहे शांत ! [४]दिव्य-उजासशतदल कमल एकांतवास ! [५]एकांत सखाजागृत कुंडलिनी प्रसृत विभा !…

छत्तीसगढ़ी गीत – तेरस कैवर्त्य

छत्तीसगढ़ी गीत - झिन रोबे दाई मोर छत्तीसगाढ़ी रचना झिन रोबे दाई मोर झिन रोबे बाई मोर।रात दिन गुनत तंय ह झिन रोबे न ss अकेला ही जाहूँ , कोनो…

प्यार तुम ही से करता हूँ – कृष्ण सैनी

प्यार तुम ही से करता हूँ - कृष्ण सैनी कृष्ण विरह को पीकर में,आज इक इंसाफ करता हु।प्यार तुम ही से करता था,प्यार तुम ही से करता हु। सोचा इत्तला…

धूप पर कविता – पुष्पा शर्मा

धूप पर कविता - पुष्पा शर्मा HINDI KAVITA || हिंदी कविता कोहरे की गाढी ओढनीहिमांकित रजत किनारी लगी।ठिठुरन का संग साथ लिया सोई  रजनी अंधकार पगी। ऊषा के अनुपम रंगों…

पुष्पा शर्मा की गीतिका – पुष्पा शर्मा

पुष्पा शर्मा की गीतिका - पुष्पा शर्मा कविता संग्रह नज़र अंदाज़ करते हैं गरीबी को सभी अब तो।भुलाकर के दया ममता सधा स्वारथ रहे अब तो। अहं में फूल कर…