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बेटी पर दोहा छंद

बेटी पर दोहा छंद बेटी सृष्टि प्रसारणी , जग माया विस्वास।धरती पर अमरित रची, काया श्वाँसो श्वाँस।।.बेटी जग दातार भी ,यही जगत आधार।जग की सेतु समुद्र ये, जन मन देवा…

सावन में भक्ति

सावन की रिमझिम फुहार के बीच संख व डमरू की आवाज मन की जड़ता को हिला देती है। एक नवीन प्रेरणा अन्तर्मन को ऊर्जान्वित करने लगती है। प्रकृति प्रेम सबसे बड़ी ईश्वर सेवा है।

कवियों की आपबीती पर कविता

कवियों की आपबीती पर कविता शीश महल की बात पुरानी,रजवाड़ी किस्से जाने।हम भी शहंशाह है, भैया,शीश पटल के दीवाने।आभासी रिश्तों के कायल,कविताई के मस्ताने।कर्म विमुख साधो सा जीवन,अरु व्याकरणी पैमाने।कुछ…

सुख-दुख की बाते बेमानी

सुख-दुख की बाते बेमानी कविता संग्रह सुख-दुख( १६,१६)मैने तो हर पीड़ा झेली।सुख-दुख की बाते बेमानी।दुख ही मेरा सच्चा साथी,श्वाँस श्वाँस मे रहे सँगाती।मै तो केवल दुख ही जानूँ,प्रीत रीत मैने…

पनघट मरते प्यास

पनघट मरते प्यास {सरसी छंद 16+11=27 मात्रा,चरणांत गाल, 2 1}.नीर धीर दोनोे मिलते थे,सखी-कान्ह परिहास।था समय वही,,अब कथा बने,रीत गये उल्लास।तन मन आशा चुहल वार्ता,वे सब दौर उदास।मन की प्यास…

मां शारदे नमन लिखा दे

मां शारदे नमन लिखा दे नमन् लिखा दे. १६,१४वीणा पाणी, ज्ञान प्रदायिनी,ब्रह्म तनया माँ शारदे।सतपथ जन प्रिय सत्साहित,हितकलम मेरी माँ तार दे।मात शारदे नमन् लिखादे,धरती, फिर नभ मानों को।जीवनदाता प्राण…