काम बोलता है पर कविता

काम बोलता है पर कविता वह बचपन से हीकुछ करने से पहलेअपने आसपास के लोगों सेबार-बार पूछता था...यह कर लूं ? ...वह कर लूं ? लोग उन्हें हर बारचुप करा…

मानसिकता पर कविता

मानसिकता पर कविता आज सब कुछ बदल चुका हैमसलन खान-पान,वेषभूषा,रहन-सहन औरकुछ-कुछ भाषा और बोली भी आज समाज की पुरानी विसंगतियां, पुराने अंधविश्वासऔर पुरानी रूढ़ियाँलगभग गुज़रे ज़माने की बात हो गई…

ग्रहों पर कविता

ग्रहों पर कविता तुम जो हो जैसे होउतना ही होना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं लग रहा हैं तुम जो भी हो उसमें और 'होने' के लिएकुछ लोगों को और भी…

जीत पर कविता

जीत पर कविता जब तक स्वास है ,करना अभ्यास है ।चित से प्रयास करें ,पूरी हर आस हो। परिश्रमी सच्चा जो,सफल रहे सदा वो।लक्ष्य मन में रखें,मंजिल ना दूर हो।…

पानी पर कविता

पानी पर कविता sagar क्षिति जल पावक नभ पवन,जीवन 'विज्ञ' सतोल।जीवन का आधार वर,पानी है अनमोल।।मेघपुष्प ,पानी सलिल, आप: पाथ: तोय।*विज्ञ* वन्दना वरुण की, निर्मल मति दे मोय।।जनहित जलहित देशहित,…
mahapurush

जलियांवाला बाग की याद में कविता

जलियांवाला बाग की याद में कविता जलियांवाला बाग के अमर शहीदों को सलाम।अमर कुर्बानी का पावन अमृतसर शुभ धाम।।तड़ातड़ चली थी निहत्थों पर अनगिनत गोलियां।कसूर था बस बोल रहे थे…

धीरे धीरे पर कविता-मनोज बाथरे

धीरे धीरे पर कविता बिखरती हुई जिंदगीवीरान सी राहेंसमय गुजर रहा हैधीरे धीरेहम अपने अस्तित्व कीतलाश मेंनिकल पड़े उनराहों परमन विचलित हैउदास हैफिर भी कर रहे हैंमंजिलें तलाश हमधीरे धीरे

ख्याल पर कविता

ख्याल पर कविता पहली रोटीगाय को दीअंतिम रोटी कुत्ते कोकिड़नाल कोसतनजा भी डाल आयामछलियों कोआटा भी खिलायाश्राद्ध में कौवों को भीभौज करायानाग पंचमी परनाग को भीदूध पिलायाभुखमरी के शिकारवंचितों काख्याल…

मजबूरी पर कविता-मनोज बाथरे

मजबूरी पर कविता मजबूरी इंसान कोक्या से क्याबना देती हैकही ऊपर उठाती हैतो कहीझुका देती हैइन्ही के चलतेइंसान अपनीमजबूरी के चलतेएकदम हताश होजाता हैपर इससे निकलनेके लिएप्रयास बेहद जरूरी हैमनोज…

खुद की तलाश पर कविता-मनोज बाथरे

खुद की तलाश पर कविता जिंदगी में भीकैसे कैसेमोड़ आते हैंजिनमें कुछ लोगतो अपनीअलग पहचानबना लेते हैंऔर कुछ लोगगुमनामी के अंधेरों मेंको जाते हैंऔर फिरखुद की तलाशकरतें हैं।।