जीवनामृत मेरे श्याम

जीवनामृत  मेरे   श्याम :   -- अमृत  कहाँ  ले  पाबे रे  मंथन  करे बगैर ।सद्ज्ञान नई मिले तोला साधन करे बगैर ।। मन  मंदराचल  बना ले  हिरदे  समुंद  कर ,मन  नई…

त्रिपदिक

त्रिपदिक      .    अतीत   धरोहर   है ।सुधार  ले  चल  आज  कोतुझे  आता  जौहर   है ।            *जीवन रण हारा अगर ।मत हो निराश बाँकुरेदेगी विजय मंत्र समर ।           *कविता नहीं बोल…

हिन्दी की बिंदी में शान

हिन्दी की बिंदी में शान हिन्दी भाषा की बिंदी  में शान।तिरंगे के गौरव गाथा की आन।।राजभाषा का ये पाती सम्मान।राष्ट्रभाषा से मेरा भारत महान ।। संस्कृत के मस्तक पर चमके।सिंधी,पंजाबी…

आज का भारत -आर्द्रा छंद

        आज का भारत  हवा  चली  है  अब  देश  में  जो         विकास  गंगा  बहती  मिली  है ।आनंद   वर्षा   चहुँ  ओर   होती        तरंग  से  आज  कली खिली है ।। गरीब   कोई   मिलता  …

बसंत बहार

बसंत बहार शरद फुहार जाने लगीबसंती बहार आने लगी !कोयल की कूक गुंजे चहुँ ओरधीरे - धीरे धूप तेज कदम नेंबाग में आम बौराने लगी! शाम ढ़ले चहचहाते पक्षियोंघोसला को…

भोर का दिनकर

" भोर का दिनकर " पश्चिम के सूर्य की तरहदुनियाँ भी ….मुझे झूठी लगीमानवता काएक भी पदचिन्हअब तो दिखाई नहीं देताजागती आँखों केसपनों की तरहअन्तःस्थल कीभावनाएँ भीखण्डित होती हैंतब ..जीवन…

लकड़ियों पर कविता

लकड़ियों पर कविता              चिता की लकड़ियाँ,ठहाके लगा रही थीं,शक्तिशाली मानव को,निःशब्द जला रही थीं!मैं सिसकती रही,जब तू सताता था,कुल्हाड़ी लिए हाथ में,ताकत पर इतराता था!भूल जाता बचपन में,खिलौना बन…

बोल रहे पाषाण

बोल रहे पाषाण बोल रहे पाषाण अबव्यक्ति खड़ा मौन है,छोड़ा खुद को तराशनापत्थरों पर ही जोर है।कभी घर की दीवारेंकभी आँगन-गलियारे,रखना खुद को सजाकररंग -रौगन का दौर है।घर के महंगे…

आया बसंत

"आया बसंत" नव पल्लव नव रंग लिए,नव नवल पुष्प का गंध लिए।सरसों की पीली चुनरी ओढ़े, टेशू के सुन्दर रंग लिए। खेतों और खलिहानों में, बागों और कछारों में। जंगल और…
doha sangrah

दोहा सप्तक

दोहा सप्तक                          *जो तू तोड़े फूल को , किया बड़ा क्या काम ।फूलों को  मुरदा  करे , खुश हो  कैसे  राम ।।                         *जीवन  के सौन्दर्य से , जब  होगी…