प्रकृति का इंसाफ- मोहम्मद अलीम

प्रकृति का इंसाफ 1.उदयाचल से अस्ताचल तक,कैसी ये वीरानी है |उत्तर से दक्षिण तक देखो ,मानव माथ पर परेशानी है || 2. पूरब से चली दनुज पुरवाई ,मानव मानव का…

हिन्दी कविता: अब तो पाठ पढ़ाना है

अब तो पाठ पढ़ाना है ★★★★★★★★★ फिर सीमा में आ जाए तो, गलवान को याद दिलाना है। दुस्साहस कर न सके वह, ऐसी सबक सिखाना है। ए वीर जवानों सुन लो, सबको यह बताना है। कब तक चीनी विष घोलेंगे, अब तो पाठ पढ़ाना है। प्राण जाय पर वचन न जाय, ऐसी कसम जो खाना है। थर थर काँप उठे रूह उनका, ऐसी सजा दिलाना है। कलाम की परमाणु याद दिला दो, बासठ का अब नही जमाना है। कब तक चीनी विष घोलेंगे, अब तो पाठ पढ़ाना है। ★★★★★★★★★★★★ रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे "कोहिनूर" पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.) मो. 8120587822

भीम बाबा पर कविता

भीमराव रामजी आम्बेडकर (14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956), डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे।[1] उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों…

अलविदा मेरे चाहने वाले-कमल यशवंत सिन्हा ‘तिलसमानी’

अलविदा मेरे चाहने वाले जब उसने ही छोड़ दिया मुझको मेरे हवालेतुम्हीं बताओ फिर मुझको कौन संभाले??? अब फिर किसी पे ऐतबार न होगाकरीब आने के चाहे कोई सौ तरकीब…

नज़्म – मुझे समझा रही थी वो

मुझे समझा रही थी वो बहुत मासूम लहजे में, बड़े नाज़ुक तरीके सेमेरे गालों पे रखके हाथ समझाया था उसने येसुनो इक बात मानोगे,अगर मुझसे है तुमको प्यार,तो इक एहसान…