महँगाई पर दोहे

महँगाई पर दोहे महँगाई की मार से , हर जन है बेहाल।निर्धनभूखा सो रहा,मिले न रोटी दाल।।1।। महँगाई डसती सदा,निर्धन को दिनरात।पैसा जिसके पास है,होती उसकी बात।।2।। महँगाई में हो…

ऋतुराज बसंत पर दोहे

ऋतुराज बसंत पर दोहे माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami धरती दुल्हन सी सजी,आया है ऋतुराज।पीली सरसों खेत में,हो बसंत आगाज।।1।। कोकिल मीठा गा रही,भांतिभांति के राग।फूट रही…

संवेदना पर कविता -अमित दवे

संवेदना पर कविता कथित संवेदनाओं के ठेकेदारों कोसंवेदनाओं पर चर्चा करते देखा। संवेदनाओं के ही नाम पर संवेदनाओं काकतल सरेआम होते देखा।। साथियों के ही कष्टों की दुआ माँगतेसज्जनों को…

गुरू पर कुण्डलियां -मदन सिंह शेखावत

महर्षि वेद व्यासजी का जन्म आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को ही हुआ था, इसलिए भारत के सब लोग इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। जैसे ज्ञान सागर…

विरह पर दोहे -बाबू लाल शर्मा

विरह पर दोहे सूरज उत्तर पथ चले,शीत कोप हो अंत।पात पके पीले पड़े, आया मान बसंत।।फसल सुनहरी हो रही, उपजे कीट अनंत।नव पल्लव सौगात से,स्वागत प्रीत बसंत।।बाट निहारे नित्य ही,…
mahatma gandhi

गाँधीजी पर कविता – बाबू लाल शर्मा

गाँधीजी पर कविता भारत ने थी ली पहन, गुलामियत जंजीर।थी अंग्रेज़ी क्रूरता, मरे वतन के वीर।हाल हुए बेहाल जब, कुचले जन आक्रोश।देख दशा व्याकुल हुए, गाँधी वर मतिधीर। काले पानी…

बसंत पंचमी पर कविता

बसंत पंचमी पर कविता मदमस्त    चमन अलमस्त  पवन मिल रहे  हैं देखो, पाकर  सूनापन। उड़ता है सौरभ, बिखरता पराग। रंग बिरंगा सजे मनहर ये बाग। लोभी ये मधुकर फूलों पे…

बीते समय पर कविता

बीते समय पर कविता हम रहो के राही हैभटक जाए इतना आसान नहींइतना रहो में गुमार नहीहम से टकरा जाए इतना हकूमत में साहस नहीहो जाता हैचिर हरण जैसे जब…

शब्दो पर दोहे

शब्दो पर दोहे १सागर मंथन जब हुआ, चौदह निकले रत्न।*अन्वेषण* नित कर रहे, सतत समस्त प्रयत्न।।२*सम्प्रेषण* होता रहे, भव भाषा भू ज्ञान।विश्व राष्ट्र परिकल्पना, हो साकार सुजान।।३अपनी रही विशेषता, सब…

मुस्कान पर कविता

मुस्कान पर कविता मुझे बाजार मेंएक आदमी मिलाजिसके चेहरे परन था कोई गिलाजो लगतारमुस्करा रहा थाबङा ही खुशनजर आ रहा थामैंने उससे पूछा किकमाल है आजजिसको भी देखोमुंह लटकाए फिरता…