रूढ़ीवाद पर कविता

रूढ़ीवाद पर कविता उन्होंने डाली जयमालाएक-दूसरे के गले मेंहो गए एक-दूसरे केसदा के लिएप्रगतिशील लोगों नेबजाई तालियांहो गए शामिलउनकी खुशी मेंरूढ़ीवादियों नेमुंह बिचकाएनाक चढ़ाईकरते रहे कानाफूसीकरते रहे निंदाअन्तर्जातीय प्रेम-विवाह कीदेते…

कदम-कदम पर कविता

कदम-कदम पर कविता यहां हैप्रतिस्पर्धाइंसानों मेंएक-दूसरे से।आगे निकलने कीचाहे किसी केसिर पर या गले पररखना पड़े पैर,कोई परहेज़-गुरेज नहीं ।किसी को कुचलने मेंनहीं चाहता कोईसबको साथ लेकरआगे बढ़ना।होती है टांग-खिंचाईरोका…

बहरूपिया पर कविता

बहरूपिया पर कविता ये क्या ! अचानक इतने सारेअब गाँव- गाँव पधारे ,लगता है सफेद पंखधारीहंस है सारे !सावधान रहना रे प्यारे !भेष बदलने वाले है सारे !! पहले पता…

हंसवाहिनी माँ पर कविता

हंसवाहिनी माँ पर कविता माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami हंसवाहिनी मात शारदेहमको राह दिखा देना।वीणापाणि पद्मासना माँतम अज्ञान हटा देना।।???विद्यादायिनी तारिणी माँकरु प्रार्थना मैं तेरी।पुस्तकधारिणी माँ भारतीहरो…

रोटी पर कविता

रोटी पर कविता सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ…

नमक पर व्यंग्य

नमक पर व्यंग्य होटल में खाने के मेज पर छोटे छोटे छिद्रों वाले डिब्बे पड़े ही रहते हैं।कार्टून बने डिब्बे में नमक मिर्च भरे होते हैं, दाल सब्जी में नमक…

निषादराज के दोहे

निषादराज के दोहे (1) पाषाणमत बनना पाषाण तू,मन में रखना धीर।दया धर्म औ प्यार से,बोलो ज्यों हो खीर।। (2) क्षितिजदूर क्षितिज पर आसमां,नीला रंग निखार।जैसे श्यामल गात हो,सुन्दर कृष्ण मुरार।।…

बेबश नारी पर कविता- लाचार ममता

बेबश नारी पर कविता सायं ठल गई अंधेरों में कब तक यूं ही सोओगे , ममता की दुलारी चिडियाँ कब तक यूं ही खोओगे। ममता का जमीर बेच दिया-इंसानियत के…

जात-पात पर दोहे

जात-पात पर दोहे जात-पात के रोग से, ग्रस्त है सारा देश|भेद-भाव ने है दला, यहाँ पर वर्ग विशेष|| जात-पात के जहर से, करके बंटा-धार|मरघट-पनघट अलग हैं, करते नहीं विचार|| जात-पात…