उसे रूह में समाया है

रूह में समाया है माना के उसके जिस्म को भी मैंने चाहा हैमगर उस से ज्यादा उसे रूह में समाया है l ये सावन उसको भुलाने नहीं देता मुझकोबारिश में…

छत्तीसगढ़ दर्शन

छत्तीसगढ़ दर्शन छत्तीसगाढ़ी रचना टिकली अस बलरामपुर ,जिंहा सुग्घर ताता पानी।सूरजपुर म कुदरगढ़ी हे,कोरिया ले हसदो पानी। नागलोक जशपुर कुनकुरी,सीताबेंगरा सजे सरगुजा।जामवंत पेंड्रा मरवाही ,कोरबा म कोईला दूजा। कबरा गूफा…
NATURE

प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन- विभा श्रीवास्तव

प्रकृति से खिलवाड़ पर्यावरण असंतुलन किलकारियाँ, खिलखिलाहट, अठखेलियाँ हवा के संग ....हमे बहुत याद आता है।बादलो का गर्जना ,बिजलियों का कड़कना ,और इन्द्रधनुष के रंग....हमे भी डराता और हसाता है।तितलियों…

क्यों जाति की बात करें

क्यों जाति की बात करें(१६,१६) कविता संग्रह जब जगत तरक्की करता हो,देश तभी उन्नति करता है।जब मानव सहज विकास करे,क्यों जाति द्वेष की बात करें।जाति धर्म मे पैदा होना,मनुजों की…